Saturday, December 7, 2024
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काव्यलेखन स्पर्धेत प्रथम पुरस्कारप्राप्त कविता “कोरोना योद्धा” – प्रा. डॉ. संतोष संभाजी डाखरे



(कोरोना मरीजोका इलाज करते हुये शहीद हुये डॉक्टरकी कहानी)

रोती-सिसकती बिवी को

घर अकेला छोड आया हूँ ।

कोरोना योद्धा बनकर अपना

फर्ज निभाने आया हूँ  ।

कहती रही मेरी बुढी माँ

मत जा मेरे बेटे तू,

सिरहाने बैठकर प्यार से

 उसे समजाकर आया हूँ ।

वो नन्हीसी गुड़ियाँ मेरी 

आकर झटसे लिपट गई,

खिलोने, मिठाई, चुडियो का,

उसे वादा करके आया हूँ ।

 

कोरोंनासे पीडित मरिजो का

 दर्द मैं कैसे बयाँ करू,

हौसला खोये मरिजो को

जीवनदान देणे आया हूँ ।

 

महामारिके इस संकटमे 

 है कसोटी मेरे ज्ञानकी,

हमे भगवान समझने वालोका

भरोसा जितने आया हूँ ।

लगा रहा रात-दिन सेवामें और स्वस्थ किया कितनों को मैंने,

पर ना जाने कब और कैसे

कोरोंनासे हारकर आया हूँ ।

लडते लडते कोरोनासे

मैने अंतीम साँस  भलेही ली,

बनकर कोरोना योद्धा फिर भी

देशसेवा करके आया हूँ ।

– प्रा. डॉ. संतोष संभाजी डाखरे

– राजे विश्वेश्वरराव कला वाणिज्य महा.भामरागड

– मोबा. 8275291596

(काव्यलेखन स्पर्धेत प्रथम पुरस्कारप्राप्त कविता)

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